लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 14 समय करीब डेढ़ बजने को था। संजय अपने कमरे में आराम चेयर पर बैठ बहुत दिनों बाद डायरी लिख रहा था। अपनी जिन्दगी के 48 साल गुजार दी है उसने। वह कभी अपनी जिन्दगी में फूल या खुशबू की तमन्ना नहीं रखी। अपने बच्चों और रम्या के ख़्यालों के अलावा उसकी कोई ख्वाहिश नहीं थी। अवन्तिका, अनन्या भी बड़े हो चुके हैं। वे खुद को सँभालने के काबिल बन गए हैं। सालों बाद अनन्या के बगैर घर सूना-सूना लग रहा था। अवन्तिका अपने कमरे में सो गई है और अनन्या दिल्ली में। आज अनन्या