निम्मो (भाग-2)निम्मो- देखो शाहिद आप मेरे शोहर हो के भी मेरी परेशानीयों को नहीं समझ रहें हैं.. आप समझने की कोशिश क्यों नहीं करते.. मैं.. मैं... कैसे समझाऊ आपको के वो मेरे साथ क्या करता है..वो मौलवी नहीं है दरिंदा है.. शाहिद- देख निम्मो मैं तेरे हांथ जोड़ता हूं के तूं मेरा भेजा बिलकुल भी खराब मत कर तुझसे जो कहा जा रहा है तूं उतना कर इसी में हम सब की भलाई है.. निम्मो- अच्छा मैं आपसे बस इतना पूछती हूं क्या जिन्नाद मौलवी को आते है.? शाहिद- हां उन्ही पर आते है..क्या तुझें पता नहीं है.. निम्मो- क्या वो वो सब भी