एक अजीब सी आवाज आई और उसके साथ होटल का दरवाजा खुल गया। यह देख कर निकुंज की सांस गले में अटक गई।वह कुछ देर तक बस ऐसे ही खड़ा रहा, उसे देखकर पीछे खड़ा पाटिल घबरा गया, उसने सिगरेट नीचे फेंकी और उसे पैरों से बुझा दिया।वह चलते हुए निकुंज के पास आया और आते ही उसने अपना सवाल किया।'तुमने तो कहा था कि होटल बंद है,फिर यह दरवाजा कैसे खुल गया?'पर निकुंज ने पाटिल को सुना नहीं,जैसे वह अपने ही ख्यालों में खोया हुआ हो। उसे इस तरह से देखकर पाटिल ने उसके कंधे को पकड़कर उसे हिलाया,'