मुर्छा हुआ फुल (भाग-1)

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हमेशा नारी को गलत ठेहराते हैं । कोई कुछ भी करे पर इस समाज नारी को दोषी मानती है । हरबक्त उसे ही proof देनी पडती है की में निर्दोष हुं । फिर भी कोई नहीं सुनता उसकी बात । सब अपनी अयसी केलिए उसे use करते हैं । जैसे की उसकी कोई ईच्छा ना हो, कोई सपना ना हो । एक इनसान और एक इनसान केलिए इतना बुरा सोच कैसे रख सकता है ? दुनियां बदलगया है । इस दुनियां के लोग भी बदलगये हैं और उसके साथ साथ दुसरो