30 शेड्स ऑफ बेला - 29

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Episode 29 by Nalini नलिनी सुब्रमण्यम इस शाम की कब होगी सुबह? दिल्ली की एक खूबसूरत शाम। थोड़ी देर पहले बारिश हो चुकी थी। मिट्टी से आती वो सोंधी सी खुशबू। लॉन में झूले पर रिया लंबी पेंगे लगा रही थी। उसे झुला रहे थे कृष और पद्मा। कृष बार-बार पद्मा की तरफ झुकते हुए कुछ कह रहा था और हर बार पद्मा के गालों पर हलकी सी सुर्खी आ जाती। बरामदे में गोल कॉफी टेबल पर बैठे पुष्पेंद्र और आशा। आशा की मांग में हलका सा सिंदूर। माथे