30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 28 by Piyush Jain पीयूष जैन लौट आया खुशबुओं वाला चांद लड़ियां उतारी जा रही थीं। बिखरे फूलों का कोने में ढेर लगा था। हवा में खुशबू अब भी थी। सब काम ठीक से हो गए थे। रिश्तेदार जा चुके थे। बहुत दिन बाद सब खुश थे।घर के सूने पड़े कोनों पर नए रंग थे। ढोलक की थापें थीं। मंगलगीत गाए गए थे। और उन आवाजों में कुछ सच्चे-झूठे गिले शिकवे भी घुल गए थे। पहले आशा और पुष्पेन्द्र ने एक दूसरे को माला पहनायी थी। बिलकुल सादे