जिंदगी मेरे घर आना - 20

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जिंदगी मेरे घर आना भाग- २० अपने केबिन में आकर कुर्सी पर ढह सी ही गई. बार बार अपना दाहिना हाथ खोल कर देखती और फिर जोर से मुट्ठी बंद कर लेती मानो क्षण भर के लिए जो शरद के हाथों की नर्म ऊष्मा मिली थी वो कहीं खो न जाये.शायद काफी देर तक निढाल सी पड़ी रही क्यूंकि मिस जोशी कुछ पूछने आईं और उसे देखकर घबरा गईं, “मैम आपकी तबियत तो ठीक है ?? क्या हुआ ? बुखार है...सर दर्द है ? न हो तो आप घर चले जाइए. आज आराम कीजिए “ आराम के नाम से ही