बुघ्घ वचन - ओशो वाणी

(22)
  • 14.5k
  • 1
  • 3k

प्रवचनमाला-- मरौ है जोगी मरौ प्रवचन नं---1भाग----8...बुद्ध के पास एक आदमी आया। उसने कहा. जो नहीं कहा जा सकता, वही सुनने आया हूं। बुद्ध ने आंखें बंद कर लीं। बुद्ध को आंखें बंद किये देख वह आदमी भी आंख बंद करके बैठ गया। आनंद पास ही बैठा था—बुद्ध का अनुचर, सदा का सेवक—सजग हो गया कि मामला क्या है? झपकी खा रहा होगा, बैठा—बैठा करेगा क्या। जम्हाई ले रहा होगा। देखा कि मामला क्या है? इस आदमी ने कहा, जो नहीं कहा जा सकता वही सुनने आया हूं। और बुद्ध आंख बंद करके चुप भी हो गये और यह भी आंख