30 शेड्स ऑफ बेला - 27

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 27 by Shuchita Meetal शुचिता मीतल गवाही दे रहा है चांद आशा चौंककर अपने मन की भूलभुलैया से बाहर आई। ''हां, क्या कह रही थीं, दीदी? सॉरी, ध्यान ज़रा भटक गया था,'' आशा ने संभलते हुए कहा। नियति ने ग़ौर से उसके चेहरे को देखा। उसकी प्यारी, नटखट, पहाड़ी नदी सी चंचल बहन कब और कैसे इस धीर-गंभीर औरत में बदल गई थी! नियति ने तो कभी उसके मन की थाह लेने की कोशिश ही नहीं की थी। बस अपने में, अपने रंगों में मगन रही। बचपन से