मनीष अपनी शर्ट से अपने आंसू पोंछता है और अपने हाथ मे पकड़ी उस चीज को देखता है... "ये क्या है" खून से सनी होने की वजह से उसे साफ नहीं दिखता... इधर कहीं से एम्बुलेंस की बहुत हल्की सी आवाज आने लगती है,जो शायद रात के सन्नाटे को चीरती हुयी मनीष की तरफ ही आ रही होती है....मनीष तुरंत अपने खून से सने हाथ को अपनी पेंट की जेब मे डालता है और रुमाल निकाल कर उसे साफ करने लगता है.... जैसे जैसे उस चीज़ पर से खून साफ होता जाता है वैसे वैसे मनीष की आँखों से आंसू आने