30 शेड्स ऑफ बेला - 26

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 26 by Gayatri Rai गायत्री रायदर्द धुआं धुआं आशा ने धीरे से क़दम बढ़ाया। दबे पांव बेला को सोते देख लौट ही जाना चाहती थी कि बेला ने आवाज़ दी, मां... आशा चुपचाप बेला के पास आकर बैठ गई। शाम का सन्नाटा पूरे कमरे में बिखरा था। कोई आवाज़ नहीं, बस लॉन से आती मोंगरे की भीनी-भीनी ख़ुशबू चारों ओर तैर रही थी। बेला आशा की गोद में सिर रखकर उसका हाथ पकड़ आंखें बंद किए बिल्कुल मुर्दा सी पड़ी थी। दोनों का दर्द बिना कुछ कहे एक-दूसरे