लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (6) सुबह हो चूकी थी। धरम बुरी तरह घायल था। टीना उसकी पीठ पर मरहम लगा रही थी। "धरम! क्या जरूरत थी मुझे बचाने की। मुझे तो आदत हो गयी थी उसके हाथों मार खाने की।" टीना बोली। वह धरम के जख़्मों को देखकर निराश थी। "अपने आंखों के सामने तुम्हें मार खाते कैसे देख सकता था।" धरम बोला। "हां हां मोहल्ले के हीरो जो ठहरे।" टीना ने व्यंग कसा। "मुझे तो बस तुम्हारा हिरो बनना है टीना। ओर किसी का नहीं।" धरम ने कहा। "अब ज्यादा रोमांटिक होने की जरूरत नहीं