इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (18) प्राइवेट कंपनियां ज्य़ादा इंतज़ार नहीं करतीं। इसीलिये वे प्रशिक्षित कर्मचारी चाहती हैं, भले ही वेतन ज्य़ादा देना पड़े। उसे पहली नौकरी का अनुभव तो था ही। यहां काम करने का तरीका थोड़ा अलग था। उसने साबिया से कहा – ‘ज़रा टेलीफोन बोर्ड के तार जॉइन करना बता दे।‘ उन दिनों एपीबीएक्स बोर्ड पर प्लगसहित तार हुआ करते थे जिन्हें बोर्ड पर लगे छेदों में डालकर संबंधित इंटरनल कर्मचारी से बात करवाई जाती थी। बाहर से आने वाले फोन के लिये लाल लाइट चमकती थी। बोर्ड पर हर पिन के आगे एक्स्टेंशन लिखे होते