सुनीता जी के घर में खूब गहमागहमी थी। एक तरफ हलवाई लड्डू मठरी बना रहे था तो दूसरी ओर घर की सजावट के लिए फूल वाले आए हुए थे ।आज सुनीता जी की बेटी की मेहंदी की रस्म थी। तभी हलवाई ने आवाज दे उन्हें बुलाया और बोला "दीदी मिठाई बन गई है। आप भोग के लिए अलग से एक पत्तल निकाल लो।" सुनीता जी भोग के लिए मिठाई लेकर जा ही रही थी। तभी उनके सास बोली " बहु शगुन की मिठाई है तुम रहने दो ।" उन्होंने अपनी बेटी मालती को आवाज लगाई और बोली "जा मालती लड्डू