दह--शत - 42

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दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड –42 “पति को छोड़ दीजिये।” मैडम सुहासिनी कुमार बड़ी चलाकी से सलाह देतीं हैं। एम.डी.मैडम की ये सलाह सुनकर वह चौंककर उन्हें देखती रह जाती है। “यदि ये उनका प्यार होता तो मैं उन्हें छोड़ देती, उन्हें जाल में फँसाया गया है। ये बात बस मैं हीं जानती हूँ। “”ये बात आप इतने विश्वास से कैसे कह रही हैं ?” “जून 2005 में मैं पाँच छः दिन घर में अंदर से ताला लगाकर सोई हूँ जब कि मुझे पता भी नहीं था इन्हें ड्रग दी जा रही है उन दिनों इनकी हालत बहुत खराब