सजना साथ निभाना-- भाग(३)

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विभावरी बोली, मां ऐसे कैसे तुम मेरी बलि चढ़ा सकती हो, मैं कैसे दीदी की जगह बैठ जाऊं, कुछ तो सोचों मेरे बारे में, अभी एक मिनट पहले मैं हंसती मुस्कुराती लड़की थी और दूसरे मिनट में मुझे तुमने किसी की दुल्हन बनने को कह दिया।। कहां जाएगा मेरा भविष्य,जब लड़के वालों को पता चलेगा कि मैं वो नहीं हूं जिसे वो ब्याहने आए थे, इतना बड़ा धोखा,अगर उनलोगो ने मुझे स्वीकार नहीं किया तो.... ऐसा कुछ नहीं होगा बेटी,मुझ पर भरोसा रख, मैं तेरे साथ अन्याय नहीं होने दूंगी, पूर्णिमा बोली।। अन्याय.....अन्याय की दुहाई मत दो मां,वो तो तुम