दह--शत - 41

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एपीसोड्स --41 वह एम.डी. के कार्यालय जाकर अपनी ट्रिक व घटनायें बताकर कहती है, “सर! अब वे लोग डरे हुए हैं आप वर्मा को बुला लीजिये।” “ये भी हो सकता है वे आपको चिढ़ा रहे हों ।” “सर! मैं क्या बच्ची हूँ जो मज़ाक व सच्चाई में अंतर नहीं जानती? मेरे पति को कुछ सोचने-समझने लायक नहीं छोड़ा है, प्लीज ! उन्हें बचाइये।” “सोचते हैं ।” एक घरेलू औरत बेशर्मी से जिस चीज़ को हथियार बनाकर उसके घर को बर्बाद करने पर तुली है तो क्या वह बेशर्म नहीं हो सकती, “सर ! मैं कब से कह रही हूँ आप