मेरे घर आना ज़िंदगी - 23

  • 9k
  • 2.5k

मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (23) मेरी ट्रेन 5 घंटे लेट थी । दिल्ली पहुंचते ही भारत भारद्वाज से मिलना था। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी और पिछले साल का प्रियदर्शन के नाम घोषित पुरस्कार भी देना था । भारत जी के घर पहुंचने से पहले मैंने प्रियदर्शन को फोन किया कि "आपका सम्मान मेरे पास है। आइए मिलते हैं। भारत जी के घर । " बस फिर क्या था प्रियदर्शन जैसे घमंडी, बदमिजाज आदमी ने फेसबुक पर खबर डाल दी कि संतोष श्रीवास्तव सम्मान को सामान कह रही हैं। प्रियदर्शन समाचार चैनल में काम करता है इसलिए