चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 2 यात्रा वृत्तांत कौशक महल प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे कुछ आगे जाकर चौराहा मिला और वहॉं लगे साईन बोर्ड को पढकर सब बच्चे खूब हॅंसे बोर्ड पर एक दिशा में जाने वाले रास्त का नाम लिखा था- ढाकोनी। मैंने बच्चो को समझाया ढाकोनी तो बिगड़ा हुआ नाम है इस जगह का सही नाम है ढाकवनी, यानि छेवला ,पलाश के पेड़ों का वन । यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में यहॉं ढाक का खूब बड़ा जंगल था। पर