लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 3 माथेरान से लौटने के बाद से संजय को रम्या में बहुत बदलाव महसूस हुआ। कभी खोई-खोई नज़र आती तो कभी वह किसी भी छोटी-छोटी बातों से घबराने लगती। लोगों को डर और शक की नज़र से देखती। कभी खुद से बातें करने लगती जैसे कोई हर पल उसके साथ हों। कभी भय से काँप उठती और संजय का हाथ पकड़कर कहती संजय कोई मुझे तुमसे अलग करना चाहता है, कोई मुझे तुमसे छीन लेना चाहता है। जैसे खुद के चारों ओर कोई शिकारी जाल बिछाए बैठा हो, पलक झपकाने की देर उसे पकड़ ले