न्याय-एक अछूत लड़की की कथा(अंतिम भाग)

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"तेरा दिमाग तो खराब नही हो गया।पागलों की सी बात कर रही है।तू होश में तो है।अछूतों को मेरे घर की देहरी लांघने की इज़ज़त नही है।और तू अपनी बेटी को मेरे घर की बहू बनाने की बात कर रही है"।छमिया की बात सुनकर ठाकुर आग बबूला हो गया।"मैं अछूत हूँ।तेरी नज़र में मेरी बेटी भी अछूत है।कमली से जबरदस्ती करते समय तेरे बेटे को ख्याल नही आया कि वह अछूत है।उसे छूना भी तुम्हारे यहाँ वर्जित है।"छमिया ने ठाकुर पर कटाक्ष किया था।"मेरे बेटे ने तेरी बेटी के साथ कोई नया काम नही किया है।ठाकुर खानदान के लोग न