दह--शत - 39

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एपीसोड---39 शादी की तैयारी के तनाव तो होते ही हैं लेकिन उसके तनाव तो कुछ और भी भयंकर थे। मेह़मानों की विदाई के बाद ऐसा लगता रहता है जैसे सारा स्नायु तंत्र काँप रहा है। दिमाग समेटे नहीं सिमट रहा। बीस दिन की ट्यूशन के बच्चों की छुट्टी कर दी है। कुछ भी पढ़ा पाना उसके बस में नहीं है। शरीर में जैसे जान नहीं रही है। होली पर रोली चहकती, खुश लौटी है उसकी सूरत देखकर समिधा की आत्मा तृप्त है। रोली आते ही उसे एकांत में ले जाती है, “मॉम! कैसी हैं?” “फाइन! लेकिन तेरे बिना ये घर