अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - भाग 30 - अंतिम भाग

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इस कथा के लम्बे सफर में आपने पढ़ा- उल्कानगर के एक बड़े व्यापारी की मुलाकात एक खजाना खोजने वाले एक बूढ़े से होती है, जिसके पास एक कुत्ता है। वह बूढ़ा बताता है, कि यह कुत्ता सूंघकर गड़ा हुआ खजाना खोज निकालता है। व्यापारी उस कुत्ते के लिये अपना व्यापार और सारी सम्पत्ति और पुश्तैनी मकान सबकुछ उस बूढ़े के हवाले कर देता है और कुत्ते को लेकर खजाने की खोज में निकल पड़ता है। उस कुत्ते के कारण डाकुओं का एक गिरोह उसे वही कुत्ते वाला बूढ़ा समझकर पकड़ लेते हैं, जो भेस बदलकर घूम रहा है। यहाँ व्यापारी