दह--शत - 38

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एपीसोड --—38 कैसा भयानक शातिर दिमाग पाया है कविता ने वह किसी नशीली चीज के नशे में अभय को विश्वास दिला चुकी थी कि उन्हें घर में कोई नहीं पूछता । बड़ा घमंड था उसे अपने आप पर कि वह घर में रहकर अपने घर व बच्चों की बहुत अच्छी तरह देखभाल कर रही है । घर में आहिस्ता से सेंध लगती रही, वह बमुश्किल पहचान पा रही है वह भी टुकड़ों, टुकड़ों में । बरसों से ड्रग के नशे की आदी कविता से नशा व अपना नशा देकर दूसरों को पशु बनानेवाली कविता इसी लत से दरिंदा बन चुकी