आखा तीज का ब्याह (11) आखिर श्वेता के वापस जाने के दिन पास आ गए थे। उसने काकाजी को कमरे का किराया देने की कोशिश की तो उन्होंने पैसे लेने से साफ़ मना कर दिया| उसने दोबारा कहा तो तिलक की माँ बोल पड़ी, “ना छोरी म्हें थारे सूं किरायो कोनी लेवां|” “क्यों काकीजी,