अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - भाग 29

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अनजाने लक्ष्य की यात्रा पेभाग-29मत्स्यमानव की गिरफ्त में“जैसे ही मुझे आपका पता मिला और यह पता चला कि आप दो डाकुओं के चंगुल में फंसे हुये हैं, मैं तुरंत दल-बल सहित यहाँ पहुंच गया।” उसने कहा।“दल-बल सहित?...” व्यापारी ने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा।“हाँ।” उसने कहा और दूर लंगर डाले जहाज़ की ओर इशारा किया, “वह मेरा जलपोत है, चलिये मैं आपको इनके चंगुल से निकालने आया हूँ।”कहते हुये उसने बिजली की सी तेज़ी के साथ समीप खड़े दोनो डाकुओं के कांधों से उनके धनुष खींचे और एक ही झटके में तोड़कर उन्हे पानी में फेंक दिये। यह सब