मेरे घर आना ज़िंदगी - 18

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (18) दिल्ली में मौलिक काव्य सृजन द्वारा कृष्ण काव्य सम्मान 20 अक्टूबर को मिलना था । कार्यक्रम के आयोजक सागर सुमन ने मेरे रहने की व्यवस्था की थी। मुझसे मिलने सुरभि पांडे ग्वालियर से आई थी आते ही लिपट गई। "मेरी बरसों की तलाश पूरी हो गई। मुझे नीली बिंदी की मेरी लेखिका मिल गई। देखो सरकार, मैं आपके लिए नीली बिंदी लाई हूँ। "उसने सुनीता मेरे और अपने माथे पर नीली बिंदी लगाई। मेरे साथ फोटो खिंचवा कर व्हाट्सएप की डीपी में लगाई। वह पूरा दिन मैंने सुरभि के संग बिताया ।