इक समंदर मेरे अंदर - 10

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इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (10) वे उपनगर पर उपनगर बदलते जा रहे थे और लोग छूटते जा रहे थे पीछे। यदि कभी कहीं मिल जायें और पहचान लें तो लोग ग़नीमत समझते थे और गर्व भी करते थे। अंततः वे मालाड के सेनिटोरियम में बने कमरे में शिफ्ट कर ही गये थे। यहां भी एक कमरा और नहाने की चौकड़ी थी। बाहर बगीचे के नाम पर शंकर के फूल का ऊंचा सा पेड़ और उस पर लगे फूल। ये फूल जब खिल जाते थे, तो सहस्‍त्रनाग के रूप में फन के रूप में छोटे छोटे पराग कणों का