ग्यारहगूंगा गाँव 11 रात भर बादल छाये रहे। लोग पानी बरसने की आश लगाये रहे। पानी की एक भी बूँद न पड़ी। सुबह होते-होते आकाश पूरी तरह साफ हो गया। किसान निराश होकर आकाश की ओर ताकते रह गये। जिनके पास कुँए थे, वे मौसम के हालचाल देखकर बैंक से कर्ज लेने के लिये दौड़-घूप करने लगे। पहला कर्ज बकाया होने से निराशा ही हाथ लगी। जिले भर में बकाये की अधिक राशि निकल रही थी तो इसी सालवई गाँव पर। गत वर्ष भी फसल अच्छी न आई थी। इधर वर्षा लेट होती जा रही थी। उधर सरकार ने कर्ज