अनैतिक - ०९ पहेली नजर ने...

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मै छत पर सिगरेट के कश ले रहा था, उपर चढ़ने कि सीढ़ियां थोड़ी ऊंची थी जिसकी वजह से माँ पापा साल में एक-दो बार ही ऊपर आते, माँ पापा से सीढियां चड़ना नहीं होता था, छत के चारो तरफ दीवारें थी तो मुझे किसिके देखने का भी डर नहीं रहता, इसीलिए मै रोज यहीं आकर सिगरेट पिता और थोड़ी देर रुक कर नीचे चला जाता, उस दिन भी यहीं हुआ, छत पर सिगरेट और मै दोनो एक दूसरे के प्यार में खोए थे, तभी नीचे मुझे किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी, मैंने देखा तो रीना और कशिश थे,