आखा तीज का ब्याह (7) जाने अनजाने प्रतीक और वासंती की दोस्ती कुछ अलग मोड़ लेने लगी थी| उन्हें एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था| उनके दोस्त भी अब उन दोनों के बारे में बातें करने लगे थे| जिन्हें सुनकर प्रतीक खुश होता पर वासंती ग्लानी अनुभव करती| इन लोगों के लिए यह कोई बहुत बड़ी या गलत बात नहीं थी बल्कि वहाँ तो सभी का नाम किसी ना किसी के साथ जुड़ा था फिर चाहे रिया हो या रजत, या फिर शशांक, हर किसी का कोई ना कोई खास दोस्त था, जिसके साथ वह सिर्फ़ कॉलेज में