घरौंदा

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बाजार में अचानक उन्हें इस रूप में देखकर मैं दंग रह गए वह मुझे देख नहीं सकी बाजार में भीड़ काफी था ना कुछ कहती पूछती तब तक वह भीड़ में समा चुकी थी घर आने पर भी मैं सोच में थी कि वह वही थी या कोई और काफी ताल मिले हो गए थे उनसे ना तो उनका कोई नंबर था और ना ही कोई पता एक बार दुर्गा पूजा के मेले में ही उनसे मुलाकात हुई थी तो वह भी 5 मिनट की सिर्फ हाल-चाल उनका परिचय यही था कि मैं और वह एक ही मकान में रहने