इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (7) उस चाल में वर्माजी का ही पूरा परिवार था...बाकी लोगों के परिवार गांव में थे। वे लोग यहां अकेले रहकर मिलों में और इधर उधर छोटे मोटे काम करते और हर महीने अपने घर पैसा भेज दिया करते थे। वहां खेती-बाड़ी थी तो वे दाना पानी से निश्चिंत थे। उल्टे, जब वे लोग मई में अपने गांव जाते और जून में वापिस आते थे तो अपने साथ देसी गुड़ और चबैना, सत्तू लेकर आते थे और सभी को थोड़ा थोड़ा बांटते थे। मुंबई का यह दौर कामना ने खूब देखा है। पिताजी की