रस्साकशी

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सुबह के नौ बज गए थे ,पर रामी का कहीं अता पता न था ‘आज लगता है फिर नही आएगी ’सोचते हुए मैं स्वयं ही बर्तन साफ करने की सोच रही थी कि क्रींच की तीखी घ्वनि के साथ द्वार की घंटी बज उठी और उसके अंदर आने पर ,इससे पूर्व कि उसके देर से आने पर में कुछ कहती रामी स्वयं ही अपनी राम कहानी सुनाने लगी ‘‘ का बताई दीदी तोहरे सामने वाली प्रिंसपलनी बहुत बीमार हैं आगे पीछे तो कोई है नही हमही जरा उनकेर खातिर