हवा के परों पर सफर

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कहानी - इंतजार राजनारायण बोहरे ‘‘ ओफ्फो, देख तो रे ... क्या च्चीज है!’’उसने चौंक कर देखा उस तरफ, जहाँ से आवाज आई थी। ऐसे जुमले सुनने को कब से तरस रही है वह। आधा जुमला सुनकर आँखों में मस्ती भर गई उसके और चेहरे पर उभर उठा एक अपरिभाषित दर्प का भाव। सचमुच उसे ही निषाना बना कर दुहराया था, उस लड़के ने ये जुमला, ‘‘ क्या चीज हो गई है ये !’’सुनकर बड़ा अच्छा लगा था उसे। उस लड़के की तरफ देखकर ढिठाई से हँसी वह, और अपने चेहरे को पिछले दिनों सीखी एक खास अदा से घुमा