बना रहे यह अहसास - 8

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बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 8 मध्य रात्रि। सैडेशन के प्रभाव में शक्तिविहीन अम्मा। पंचानन सोफे पर यामिनी भूमि पर सोई है। कल इन लोगों को बहुत भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। अममा ने नींद में व्यवधान देना उचित न समझा। लघुशंका के लिये उठीं और गिर गईं। अस्पताल वाली संदिग्ध नींद। धमक सुन यामिनी उठ गई ‘‘पचानन, अम्मा गिर गई हैं ........ देखो .............. जल्दी ..............।’’ पंचानन अकबका कर उठा ‘‘कहता था सर्जरी न कराये। लकवा मार गया कि क्या हो गया।’’ ‘‘ड्यूटी रूम में कोई होगा। काँल करो।’’ यामिनी ने टेलीफोन की ओर संकते किया। काँल सुन, बाधित नींद