एक बेटी की कहानी, बेटी की जुबानी

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मे एक बेटी हु। इस समाज को चलाने , इस सृष्टि को सम्हालने का कार्य खुदा ने मुझे सोपा।बचपन से ही मम्मी पापा की लाडली रही। मुझे चोट तक न आने दी। ये समाज सब के सामने मुझे हमेशा हिम्मत देता है। मेरे हर अच्छे काम की तारीफ होती है। हर कोई मुझे साथ देता है। सरकार ने तो हमारी रक्षा के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए है। कितनी खुशनसीब हु न मैं! क्या ये सच है? मैं सच मे इतनी खुशनसीब हु? मुझे हर कोई सच्चा और अच्छा लगता है। हर किसी पे भरोसा करना सीखा। हर किसी