जिंदगी मेरे घर आना - 4

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जिंदगी मेरे घर आना भाग – ४ जब मम्मी ने शरद से चाय के लिए पूछा और शरद ने हाँ कहा तो नेहा को बड़ी ख़ुशी हुई. उसने जोर से सर हिलाया, ‘अब आएगा मजा..” रघु बाजार गया है और सावित्री काकी गेहूँ धो रही हैं। चाय तो नेहा को ही बनानी होगी। ऐसी चाय पिलाएगी, बच्चू जीवन भर याद रखोगे। ठीक ही सोचा था, मम्मी थोड़े देर में आईं और चाय का आदेश दे चली गईं। आश्चर्य चकित भी हुईं कि बिना ना-नुकुर किए इतनी सहजता से कैसे तैयार हो गई वह। पूरे मनोयोग से चाय बनायी नेहा ने।