दस्तक - (अंतिम भाग)

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माँ का पत्र पढ़कर वह सोचने लगा।बेटा होने के नाते उसका माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ था।भाई के नाते बहनों के प्रति भी जिम्मेदारी थी।काफी देर तक सोच विचार करने के बाद उसने मन ही मन में निर्णय लिया।और फिर संजना के नाम एक पत्र लिखने बैठ गया।उसने उस पत्र को संजना की मेज पर रख दिया।उसने आफिस में भी किसी को कुछ नही बताया।संजना गांव से लौटी तब उसे यह पत्र मिला था।सुुुबह वह इस पत्र को नही पढ़ पायी थी।लेकिन लंच में उसने लिफाफा खोलकर पढ़ने लगी।प्रिय संजना,माँ का पत्र मुझे आज ही मिला।मैने अपने बारे में बताते