इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (5) उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि भविष्य में उनकी बेटियां नौकरी भी करेंगी....उन्हें इस बात का सपने में भी गुमान नहीं था। उनकी तो बस यही तमन्ना थी कि उनकी बेटियां इतना पढ़ें कि लड़के वाले खुद आयें उनकी बेटियों का हाथ मांगने। वे बेटियों को पढ़ाना ज्य़ादा ज़रूरी समझते थे। उनका मानना था कि बेटे तो पथ्थर तोड़कर भी पेट भर सकते थे लेकिन बेटियों पर कोई मुसीबत आयी तो ये कहां जायेंगी...ये किसके आगे हाथ पसारेंगी। वे खुद सिर्फ़ दसवीं पास थे पर सोच में कई पढ़े लिखों की सोच