आखा तीज का ब्याह - 3

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आखा तीज का ब्याह (3) प्रतीक के हॉस्पिटल जाने के बाद वासंती ने अपनी सासुमां को फोन लगाया, "हैलो! प्रणाम मम्मा!" "खुश रहो बेटा! कैसे हो! हमारी परी वनू कैसी है?" "बहुत बदमाश हो गई है मम्मा। पूरा दिन शरारतें करती रहती है। आपको और पापा को याद भी बहुत करती है।" "हां तो कभी लेकर आओ न उसे। जोधपुर कौनसा दूर है।" "जी मम्मा! जल्दी ही आते हैं। अभी तो प्रतीक ने एक नयी मुश्किल खड़ी कर ली है। उन्होंने मेरे गांव के पास ही किसी एनजीओ का नया खुल रहा हॉस्पिटल ज्वॉइन करने का मन बनाया है। नेक्स्ट