बना रहे यह अहसास - 6

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बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 6 रूम में यामिनी और व्याख्या हैं। रविवार होने से व्याख्या दोपहर में आ गई है। कर्मचारी लंच दे गया। भरी हुई थाली देख कर अम्मा अकबका जाती हैं। ‘‘गूड़ा, इस अस्पताल में मरीज को गले तक ठूँसा देते है क्या ?’’ ‘‘तुम्हें जितनी कैलोरी लेनी है उसके अनुसार नाश्ता और खाना दिया जाता है अम्मा।’’ ‘‘इच्छा होती है इस थाली को खिड़की से बाहर फेंक दें और आम के रस में रात की बासी रोटी डुबा कर खायें। दादा भाई हमको सबसे अच्छा आम देते थे।’’ 21 अम्मा के जीवन के अंतिम लेकिन