एक मुट्ठी इश्क़--भाग (८)

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शाम हो चुकी थीं,दिनभर आराम करने के बाद इख़लाक सब्जियों के खेतों मे गुड़ाई निराई का काम कर रहा था,सभी बच्चे बाहर खेल रहे थें,फात़िमा दूसरी कोठरी में शाम के खाने की तैयारी कर रही थीं, तभी गुरप्रीत नींद से जागकर आई और फात़िमा के पास आकर बोली___ आपा!आपने मुझे जगाया नहीं, कितनी शाम होने को आई और आप छोड़िए खाने की तैयारी मैं करती हूँ।। तू ये क्यों भूल जाती हैं, जीनत़ कि मैं भी तेरी तरह एक औरत हूँ, तेरी हालत देखकर क्या मुझे जरा सा भी दुःख नहीं हुआ होगा, मुझे क्या इतना बेरहम समझा हैं,