जिंदगी मेरे घर आना भाग २ और इस सारे बदलाव का श्रेय नेहा नवीना यानी उसे दिया जाता है जबकि यह सब तो अनजाने में हो गया किसी योजना के तहत उसने कुछ नहीं किया। किसी भी चीज को गंभीरता से लेना तो उसके स्वभाव में शामिल ही नहीं। भले ही माली काका और उनकी पत्नी या रघु और मंगल के बीच झगड़े सुलझाती वह बड़ी धीर गंभीर नजर आए। लेकिन गंभीरता से उसका कोसों दूर का नाता नहीं। सावित्री काकी के अंदर जाते ही बिल्कुल नन्हीं नेहा बन ठुनकने लगती -‘माली दादा, तुम्हें तो अब इलायची अदरक डाली बढ़िया