मेरा स्वर्णिम बंगाल - 11 - अंतिम भाग

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (11) समय तेजी से आगे बढ़ रहा था। अख़बार रखकर मै वसुंधरा सेंटर जाने के लिए तैयार हो गई। सौरभ टीवी देख रहा था, मैंने उसे होटल पर ही रुकने को कहा। नास्ता भी आ चुका था, साथ में चाय भी। थोड़ी देर में मैं, मौसी और मौसा जी पहली मंज़िल पर स्थित होटल के काउंटर पर पहुँचे। अनूप जी से कहा कि किसी एक व्यक्ति को हमारे साथ भेजें। हमारे साथ सलीम नामक उन्हीं के स्टाफ का लड़का साथ हो लिया। क़रीब ग्यारह बजे हम निकले। दस मिनट