आखा तीज का ब्याह (2) वासंती कार से उतर कर धीरे धीरे सधे कदमों से यूनिवर्सिटी के हॉल की ओर चल पड़ी जहाँ दीक्षांत समारोह चल रहा था| हॉल की सजावट देखते ही बनती थी| आज यूनिवर्सिटी का ज़र्रा ज़र्रा जैसे वासंती की ही राह देख रहा था| जैसे ही उसने हॉल में प्रवेश किया सभी लोगों की निगाहें उसकी ओर उठ गई| वासंती के दिल की ख़ुशी चेहरे पर चमक बिखेर रही थी| वह ख़ुशी होती भी क्यों नहीं आखिर आज उसकी ज़िन्दगी का वो ख़ास दिन जो था जिसका उसने वर्षों पहले सपना देखा था और जिसके लिए