बना रहे यह अहसास - 5

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बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 5 अम्मा को एडमिट कर लिया गया। उनके साथ मरीज की तरह व्यवहार होने लगा। वर्दीधारी कर्मचारी ने स्टाफ और भर्ती मरीजों के लिये आरक्षित लिफ्ट से उन्हें तीसरी मंजिल के आवंटित कक्ष में पहुँचा दिया। दीवार से लेकर बिस्तर तक सफेद रंग में एक सार हुआ सुंदर कक्ष। अम्मा को राजसी बोध हुआ। इतनी समर्थ हैं कि अपने लिये थोड़ा ठाट जुटा सकती हैं। बंगलों में रही हैं पर पप्पा ने समर्थ होने का बोध कभी नहीं होने दिया। मरीज के कमरे में दो व्यक्ति ही रह सकते हैं। पात्रता के लिये पर्ची