स्त्री होने की सज़ा

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प्रभा ...तुम मेरे घर कम आया करो ...आओ भी तो ज्यादा वक्त मेरी पत्नी के साथ गुजारो ....|’अपने प्राध्यापक रमेशचन्द्र की यह बात सुनकर प्रभा निष्प्रभ हो उठी |अभी थोड़ी देर पहले दरवाजा खोलते समय उनकी पत्नी ने भी बड़ा अभद्र व्यवहार किया था |वह कुछ समझ नहीं पाई थी और अब सर भी.....|उसे लगा किसी ने उसे गाली दी हो ...उसके चरित्र पर कीचड़ उछाला हो और कहा हो—'तुम बदनामी का कारक हो ...तुम इस योग्य नहीं कि किसी शरीफ घर में आ-जा सको |’उसकी आँखों में आंसू आ गए |वह तो यहाँ अपना शोध-कार्य करने आती है |पहले तो इस घर में उसका