दह--शत - 28

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दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---28 समिधा को अपने घर के दीवान पर बैठी व कहती, “हाँ, मैं बहुत बोल्ड हूँ। मैं बहुत बोल्ड हूँ।” फुँफ़कारती कविता याद आ जाती है। तीसरे दिन मीनल का फ़ोन आ जाता है, “समिधा जी! कल कविता का मेरे पास फ़ोन आया था वह कह रही थी आपने उससे कहा है कि मैं उसे याद कर रही हूँ। ‘इनफ़ेक्ट’ मैं तो उसे अच्छी तरह जानती भी नहीं हूँ।” “हाँ, मैंने ही उससे कहा था। मैं उसके कारण बहुत मुसीबत में हूँ। शी इज़ ए विकेड लेडी उसने इसीलिए महिला समिति छोड़ी है।” “अच्छा?”