बना रहे यह अहसास - 4

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बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 4 फेमिली पेंशन। सनातन, अम्मा को बैंक ले गया था - ‘‘अम्मा, कितना रुपिया निकालना है ?’’ 13 ‘‘ एक महीने की पूरी पिनसिन। देखें इतना रुपिया कैसा लगता है।’’ पेंशन लेकर अम्मा मजबूत चाल से घर आईं। हाव-भाव में दृढ़ता। चेहरे में गौरव। अब अपनी मर्जी से जियेंगी। लेकिन वाल्व खराब ..................। तैयारी यामिनी की। दिल्ली जा रही है सरस। गौतमजी ने स्पष्ट कहा ‘‘यामिनी, तुम अम्मा के घर की चाकरी बजाने नहीं जाओगी।’’ ‘‘अम्मा की सर्जरी होनी है। मान-अपमान भूलकर उनकी मदद करनी चाहिये। उनके न रहने पर वैसे भी कोई नहीं